इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

शनिवार, 20 जुलाई 2013

फरवरी 2012 से अप्रैल 2012

इस अंक के रचनाकार
 सम्‍पादकीय : एक ही विधा पर लेखन सफलता दिलाती है
आलेख
बदली हुई भाषा और छत्तीसगढ़ की लोक संस्‍कृति : डॉ. जीवन यदु
समकालीन बोध और स्‍त्री विमर्श : दादूलाल जोशी ' फरहद '
कहानी
नया नीड़ : सनत कुमार बाजपेयी ' सनातन '
भाड़े का मकान : डॉ. रामचन्‍द्र यादव
वह एक लड़की : डॉ. तारिक असलम ' तस्‍नीम '
रण म जीत ( छत्तीसगढ़ी ) सुरेश सर्वेद
व्‍यंग्‍य
ग्राम बसे सो भूतानाम् : नूतन प्रसाद
पुराने चीजों को टिकाने की कला : कांशीपुरी कुंदन
गीत
एक सितारा छत्‍तीसगढ़ : इब्राहीम कुरैशी, बसंत के बाजार में : हरीराम पात्र, सुर मिला लें : श्रीमती सुधा शर्मा, स्‍वर्णिम सी प्रात: जगन्‍नाथ ' विश्‍व ', ऋतुआ आ गे : आत्‍माराम कोशा ' अमात्‍य '
गज़ल 
चुप रहो : ज्ञानेन्‍द्र साज, राम भजो : अशोक ' अंजुम ', हमने उसके शहर में : जितेन्‍द्र कुमार ' सुकुमार '
कविता 
अनुभूति मान मर्दन : आनंद तिवारी पौराणिक, सेवा बर उबकाई : विद्याभूषण मिश्र, भील बच्‍चा : डॉ. रामशंकर ' चंचल ', श्‍मशान : आकांक्षा यादव 
सुरता 
फक्‍कड़ कवि थे निराला : कृष्‍ण कुमार यादव
पुस्‍तक समीक्षा 
सौन्‍दर्य भी है और सुगंध भी : मुकुंद कौशल
अस्‍वाभाविक कथानकों वाला कहानी : कुबेर
कचना धुरवा खंड काव्‍य : सुभद्रा राठौर
छत्‍तीसगढ़ी गीतों की नई बानगी : सुनीता तिवारी
साहित्यिक - सांस्‍कृतिक गतिविधियां 
कुबेर में बहुत कुछ संभावनाएं है : विनय पाठक

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