इस अंक के रचनाकार
सम्पादकीय : छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग की करस्तानीअंधा बांटे रेवड़ी, आप - आप को देय ?
आलेख
समकालीन कविता शिल्प के नये आयाम : कुबेर
क्या मोक्ष संभव है : डां. अनिल कोहली
भरथरी- शास्त्र को लोक में रूपान्तरण : दादूलाल जोशी ' फरहद '
लघुकथाएं
बइला अउ पंडित : दिनेश चौहान
आदमी की नीयत : रामशंकर चंचल
दो लघुकथाएं : हंसमुख रामदेपुत्रा
कहानी
पांचवा बेटा : गिरीश बख्शी
हरमुनिया ( छत्तीसगढ़ी ) मंगत रवीन्द्र
चोट का निशान : जसवंत सिंह बिरदी
ढेलवानी : भोलाराम सिन्हा
मैं उसका आभारी हूं : सुरेश सर्वेद
व्यंग्य
महानगर में मनसुखा : नूतन प्रसाद
गीत
गीतों का सरगम : आचार्य रमाकांत शर्मा, गांव छोड़ के झन जा : डां. पीसीलाल यादव, कुसियार माड़े हे : डां. जीवन यदु , हे शबरी के राम : आचार्य सरोज व्दिवेदी, कइसन बच्छर आगे : देवनारायण निषाद,
गज़ल
पीड़ा लेकर जी रहा ( दोहे ) : श्याम अंकुर, खोटा सिक्का : श्याम सखा ' श्याम ', इंसान बिक रहे हैं : ओम रायजादा
कविता
डंगचगघा : आनंद तिवारी पौराणिक, कविता क्या है : डॉ. महेन्द्र प्रताप सिंह चौहान, धरती दाई के कोरा : गिरधारी लाल चौहान, गॉंव के सुरता : एच.डी.महमल्ला ' हर्ष ',
पुस्तक समीक्षा
राम पियारी म दुर्गा जागीस
साहित्यिक - सांस्कृतिक गतिविधियॉं
दिव्य जी को श्रद्धा से याद करने वाले असंख्य है : प्रेमजमेजय
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