इस अंक के रचनाकार
सम्पादकीय : बलवती होती मान - सम्मान पुरस्कार हड़पो नीतिआलेख
छत्तीसगढ़ की महतारी, शबरी : आचार्य सरोज व्दिवेदी
सुरता : युगप्रवर्तक हीरालाल काव्योपाध्याय : पीसीलाल यादव
लघुकथाएं
उखड़ी सिलाई : नरेन्द्र कुमार
रोटी - राजेश जगने ' राज '
धीरज लक्ष्मी : श्रीमती मंदाकिनी श्रीवास्तव
नोनी : रूपेन्द्र पटेल
कविता
भारत का होना जरुरी है : देवेन्द्र कुमार मिश्रा ,दो गीतिकाएं : रमेश चन्द्र शर्मा ' चन्द्र' , दोहा : विट्ठलराम साहू ' निश्छल ' , इंतजार : कुहेली भट्टाचार्य
खेले बचपन : शशिलता लहरे
वह जो साथ है : रामशंकर ' चंचल '
बस्तर : कौशलेन्द्र
पानी म जादू : नंदकुमार साहू
बसंत बिना कोइली रोवय : जगन्नाथ डड़सेना
उहां - इहां : हरप्रसाद ' निडर '
जाड़ के कविता : आनंद तिवारी पौराणिक
वक्त : देवनारायण निषाद
गीत
राष्ट्रगान : हरीराम पात्र
उलझा हुआ सबेरा है : जितेन्द्र ' जौहर '
देह जागरण : कृपाशंकर शर्मा ' अचूक '
गांधी के बेंदरा : गणेश यदु
चलव रे संगी: घनाराम बंजारे
मोर धरती के पूजा करइया : गोपाल दास साहू
गज़ल
बड़ी हैरत से : मोह. मुइद्दीन ' अतहर '
हमारे राजा जी : अशोक ' अंजुम '
जिससे प्यार किया : जितेन्द्र कुमार साहु ' सुकुमार '
बचा - बचा के नज़र : अब्दुस्सलाम कौसर
पुस्तक समीक्षा
लोक स्वप्न का सत्य : कुबेर
साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियां
साहित्यकार ठाकुर नारायणसिंह का किया गया सम्मान
व्यक्तित्व
अब भी नाचने की चाहत है गोपाल में शारीरिक दुर्बलता साथ नहीं देती : वीरेन्द्र बहादुर सिंह
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